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Sant Shri Premaanand maharaj ji

 Sant Shri Premanand Maharaj Ji - के बारे में जानें सब कुछ ....


परिचय

Sant Shri Premanand Maharaj Ji, जिनका नाम लेते ही हृदय प्रेम से भर उठता है, हमारे युग के महानतम रसिक संतों में से एक हैं। उनका जीवन, उनके वचनों की मधुरता, और श्रीराधा-कृष्ण के प्रति उनका अप्रतिम प्रेम, आज के भौतिक युग में अध्यात्म की सच्ची प्रेरणा देता है। वह वृन्दावन के प्रमुख संतों में गिने जाते हैं, जिनकी वाणी लाखों श्रद्धालुओं को भगवान से जोड़ती है।


बाल्यकाल और प्रारंभिक जीवन

श्री प्रेमानंद जी का जन्म भारत के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे अत्यंत सरल, शांत और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। उन्होंने सांसारिक आकर्षणों से दूर रहते हुए भगवान के प्रेम में जीवन समर्पित करने का निश्चय किया।

वे बाल्यकाल से ही साधुओं और संतों के संग में रहते थे और राधा-कृष्ण की लीलाओं को सुनते-सुनते भाव-विभोर हो जाया करते थे। उन्होंने किसी परंपरागत गुरु से दीक्षा नहीं ली, बल्कि स्वयं श्रीराधारानी को ही अपना सर्वस्व मानकर भक्ति का मार्ग चुना।


वृन्दावन में तप और साधना

महाराज जी ने वृन्दावन आकर राधा रानी के चरणों में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने वर्षों तक एकांत साधना की और रस-माधुरी में लीन होकर भगवत-प्रेम का अनुभव किया। उनकी साधना इतनी गहन थी कि वे दिन-रात श्रीराधा-कृष्ण के ध्यान में लीन रहते थे।


उनका निवास – “Raman Reti” – अब श्रद्धालुओं के लिए एक तीर्थस्थल बन चुका है, जहाँ हजारों लोग उनके दर्शन, सत्संग और प्रवचनों के लिए आते हैं।



सत्संग और प्रवचन

श्री प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन अत्यंत भावपूर्ण होते हैं। वे भक्तों को केवल धर्म नहीं, प्रेम सिखाते हैं – एक ऐसा प्रेम जो निष्काम हो, जो केवल राधा-कृष्ण के चरणों में समर्पित हो। उनके प्रवचनों में श्रीमद्भागवत, रामचरितमानस, और राधा-कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन होता है।

उनकी वाणी इतनी रसपूर्ण होती है कि भक्त अनायास ही भाव-विभोर हो जाते हैं और उनकी आँखों से प्रेम के आँसू बहने लगते हैं।


शिक्षाएँ और संदेश

  1. प्रेम ही भगवान तक पहुँचने का मार्ग है।
  2. भक्ति का अर्थ है समर्पण – बिना किसी शर्त के।
  3. वृन्दावन केवल एक स्थान नहीं, वह भावना है – जहाँ राधा रानी का वास है।
  4. कृष्ण से अधिक राधा का नाम लेने से ही कृपा मिलती है।


सेवा और आश्रम

उनका आश्रम – Shree Premanand Dham – एक आध्यात्मिक केंद्र है जहाँ नित्य सत्संग, सेवा, भागवत कथा, और कीर्तन होता है। यहाँ भक्तों के रहने, भोजन और ध्यान के लिए उत्तम व्यवस्था है। आश्रम का मुख्य उद्देश्य है – लोगों को भक्ति की राह पर चलाना और राधा-कृष्ण के प्रति प्रेम जगाना | 

राधा नाम की अदभुत महिमा है नाम जप एक मात्र माध्यम है भगवद् प्राप्ती का इसलिए नाम जप करते रहो सत्कार्य करते रहो - राधे राधे । 







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